राजस्थानी साहित्य
राजस्थानी साहित्य से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावली
- रासौ - शासकों की प्रशंसा में लिखे गए ग्रंथ।
- ख्यात - शासकों की प्रशंसा में लिखे गए ऐसे ग्रंथ जिनमे विस्तृत इतिहास का वर्णन है।
- वात - शासकों की प्रशंसा में लिखे गए ऐसे ग्रंथ जिनमें संक्षिप्त इतिहास का वर्णन हो।
- प्रकाश - किसी शासक या राजवंश पर प्रकाश डालकर लिखा गया ग्रंथ।
- वचनिका - किसी शासक की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्णन करना।
- डिंगल - पश्चिमी राजस्थानी भाषा के प्रमुख साहित्य डिंगल कहलाते हैं।
- पिंगल - पूर्वी राजस्थानी भाषा के प्रमुख साहित्य पिंगल कहलाते हैं।
साहित्य - भाषा के लिखित रूप को साहित्य कहा जाता है।
- राजस्थानी भाषा का प्रथम साहित्यिक ग्रंथ- भारतेश्वर बाहुबली (वज्रसेन सुरी द्वारा रचित)
- राजस्थानी भाषा कि प्रथम कहानी - विश्रांत प्रवास(शिवचन्द्र भारतीय द्वारा रचित)
- राजस्थानी भाषा का प्रथम उपन्यास- कनक सुंदरी (शिवचन्द्र भारतीय द्वारा रचित)
- राजस्थानी भाषा का प्रथम नाटक - केसर विलास (शिवचन्द्र भारतीय द्वारा रचित)
- राजस्थानीभाषा का प्रथम बारहमासा ग्रंथ- नैमिनाथ बारहमासा (पल्हण रचित)
- आधुनिक राजस्थान कि काव्यकृति - बादली (चन्द्रसिंह बिरकाली)
राजस्थान के साहित्यकार व साहित्यिक ग्रंथ
सुर्यमल्ल मिश्रण
- जन्म - बुंदी (1815)
- उपनाम - राज्य कवि, रसावतार
- पिता - चण्डीदान
- इन्हें आधुनिक राजस्थानी काव्य में नवजागरण का पुरोधा कहा जाता है।
इनके प्रमुख ग्रंथ
वंश भास्कर
- रचना -1840 मे
- शैली - चंपु शैली
- इस ग्रंथ में बुंदी राजवंश का इतिहास मिलता है।
वीर सतसई
- यह ग्रंथ अंग्रेजी दासता के विरुद्ध लिखा गया है।
- इसमे 1857 की क्रांति की घटनाओं का वर्णन मिलता है।
- इनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने इस ग्रंथ की रचना पूर्ण की।
अन्य ग्रंथ- रामरंजाट, सती रासौ, बलवंत विलास
मुहणौत नैणसी
- जन्म - जोधपुर (1610)
- अन्य नाम - नारायण
- पिता - जयमल
- मुंशी देवी प्रसाद ने इन्हें राजस्थान का अबुल फजल कहा है।
- यह जोधपुर के शासक जसवंत सिंह प्रथम के दरबारी विद्वान थे।
- जसवंत सिंह के साथ मतभेद के कारण इन्होंने 1670 में आत्महत्या कर ली।
नैणसी री ख्यात
- इसमें जोधपुर, पाली, सिरोही, उदयपुर व बीकानेर के इतिहास का वर्णन मिलता है।
- इस ग्रंथ को राजस्थान का गजेटियर या जेवर कहा जाता है।
विजय दान देथा
- जन्म - बोरूंदा, जोधपुर (1926)
- उपनाम - विज्जी
- इन्हे राजस्थान का शेक्सपियर कहा जाता है।
- इन्हे 2004 मे पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
इनकी प्रमुख रचनाएँ
- बातां री फुलवारी
- तीडौराव
- चरणदास चोर
कन्हैयालाल सेठिया
- जन्म - सुजानगढ (चुरू), 1919
- इन्हें राजस्थानी भाषा का भीष्म पितामह कहा जाता है।
- इन्हें कविताओं का जादूगर भी कहा जाता है।
- यह पीथल व पाथल नाम से काव्य रचना करते थे।
- लिलटास इनकी प्रमुख रचना है, इसके लिए इन्हें 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।
- अग्निवीणा काव्य रचना के कारण इन पर बीकानेर में मुकदमा चलाया गया।
- 2004 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- 2012 में इन्हें मरणोपरांत राजस्थान रत्न से सम्मानित किया गया।
- अन्य रचनाएं - धरती धोरा री, मेरा युग, ढीठ
महेन्द्र भानावत -कानोड (उदयपुर)
- इनहे राजस्थानी प्रेम कथा के कवि कहा जाता है।
- प्रमुख रचनाएँ- काजल भरियो कुपला, गहरो फुल गुलाब को
एल पी टेस्सीटोरी
- यह इटली के इतिहासकार है।
- यह राजस्थान में सर्वप्रथम जयपुर आए।
- राजस्थान में इनकी कर्म स्थली बीकानेर रही।
लक्ष्मी कुमारी चुंडावत
- जन्म - देवगढ, राजसमन्द, 1916
- उपनाम - राणीजी
- इन्हें देवनारायण जी री बगड़ावत महाकथा ग्रंथ पर 1984 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- यह विधानसभा व राज्यसभा सदस्य भी रह चुकी है।
- प्रमुख रचनाएं - मुमल, टाबरा री बांता, राजस्थान री बांता
कर्नल जेम्स टॉड
- जन्म - इलंगस्टिन (इंग्लैंड)
- राजस्थान में यह सर्वप्रथम मांडल भीलवाड़ा में आए।
- इन्हें राजस्थान इतिहास का जनक कहा जाता है।
- एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ इंडिया इनकी प्रमुख पुस्तक है।
- इनहे घोड़े वाले बाबा भी कहा जाता है।
कविराजा श्यामल दास
- जन्म - भीलवाड़ा
- यह मेवाड़ महाराणा सज्जन सिंह के दरबारी कवि थे।
- सज्जन सिंह ने कविराजा की उपाधि दी।
- इंडिया कंपनी द्वारा इन्हें केसर ए हिंद की उपाधि दी गई।
- विर - विनोद
पृथ्वीराज रासौ
- रचयिता - चन्दरबरदाई
- चन्दरबरदाई के पुत्र जल्हण ने इसे पूर्ण किया था।
- यह डिंगल व पिंगल भाषा का मिश्रित साहित्य है।
- ग्रंथ के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति अग्नि कुंड से हुई है।
- चंदरबरदाई का अन्य नाम बलिध है।
सैनाणी
- रचयिता- मेघराज मुकुंद
- इस ग्रंथ में हाडी रानी सहल कंवर कि वीरता का वर्णन मिलता है।
- चुणडावत मांगै सैनाणी, शिश काट दे दियो क्षत्राणी पंक्तियाँ इसी ग्रंथ से संबंधित है।
पृथ्वीराज विजय
- रचयिता- जयनायक भट्ट/जयानक
- इसमें पृथ्वीराज तृतीय के युद्धों का वर्णन है।
बीसलदेव रासौ
- रचयिता- नरपति नाल्ह
- इसमें विग्रहराज व राजमती के प्रेम प्रसंग का वर्णन है।
ललित विग्रहराज
- रचयिता- सोमदेव
- इसमें विग्रहराज व इंदुमती के प्रेम प्रसंग का वर्णन है।
मानचित्र रासौ
- रचयिता- कवि नरोत्तम
- इस ग्रंथ में हल्दीघाटी युद्ध का कारण महाराणा प्रताप द्वारा जालौर पर आक्रमण करना बताया गया है।
छत्रपति रासौ
- रचयिता- काशी छंगाणी
- इस युद्ध में मतीरे की राड युद्ध का वर्णन मिलता है।
क्याम रासौ
- रचयिता- क्याम खाँ
- इस ग्रंथ में चौहानों की उत्पत्ति वत्सगोत्रीय के ब्राह्मणों से बताई गई है।
- इस ग्रंथ में फिरोजशाह तुगलक द्वारा गोगाजी के वंशजों के धर्म परिवर्तन का वर्णन मिलता है।
खुमाण रासौ
- रचयिता- दलपत विजय
- इसमें मेवाड शासक बप्पा रावल से महाराणा राज सिंह तक का वर्णन मिलता है।
- मेवाड़ के शासक खुमाण सिंह के शासनकाल में चित्तौड़ किले पर पहली बार विदेशी आक्रमण विदेशी आक्रांता मामू ने किया इसका वर्णन मिलता है।
विजयपाल रासौ
- रचयिता- नल्ल सिंह
- इसमें करौली शासक विजय पाल सिंह का इतिहास वर्णित है।
हम्मीर रासौ
- रचयिता- जोधराज
- इसमें रणथंभौर के चौहान शासक हम्मीर देव का वर्णन मिलता है।
सगत रासौ - गिरधर आसिया
अचलदास खींची री वचनिका
- रचयिता- शिवदास गाडन
- ग्रंथ में हौशंगशाह एवं गागरोन के शासक अचलदास खींची के मध्य युद्ध का वर्णन है।
ढोला मारू रा दुहा
- रचयिता- कवि कल्लोल
- यह डिंगल साहित्य का पहला काव्य ग्रंथ है।
पृथ्वीराज राठौड़
- यह बीकानेर शासक कल्याणमल के पुत्र थे।
- अकबर ने इन्हें गागरोन (झालावाड़) की जागीर प्रदान की।
- एल पी टैस्सीटोरी ने पृथ्वीराज को डिंगल का हैरोन्स कहा है।
- यह अपनी रचना पिथल नाम से करते थे।
वेलि किशन रुक्मिणी री
- इस ग्रंथ में भगवान श्री कृष्ण एवं रुक्मणी के विवाह का वर्णन है।
- दुरसा आढा ने इस ग्रंथ को पांचवा वेद व 19 वाँ पुराण कहां है।
- अन्य ग्रंथ- गंगलहरी, दसावत भागवत रा दुहा।
दुरसा आढा
- जन्म - सांचौर (जालौर)
- यह अकबर के दरबारी कवि थे।
- इनहे अकबर के दरबारी होने के बावजूद भी महाराणा प्रताप व चंद्रसेन के शोर्य गाने वाला कहा जाता है।
- माउंट आबू (सिरोही) के अचलेश्वर मंदिर में दुरसा आडा की प्रतिमा लगी हुई है।
- विरूद्ध छतरी - इसमें महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा का वर्णन है।
- किरतार बावनी
कानहड दे प्रबंध- पद्मनाभ
हम्मीर हठ- चन्द्रशेखर
हम्मीर महाकाव्य- नयन चन्द्र सुरी
हम्मीरायण - माउण्ड व्यास
राव जैतसी रो चंद - बीठु सुजा
दयालदास री ख्यात- दयालदास
- इसे बीकानेर रा राठौडा री ख्यात कहते हैं।
पद्मावत - मलिक मोहम्मद जायसी
बांकीदास री ख्यात- बांकीदास आसिया।
सुरज प्रकाश - करणीदान कविया
हाला झाला री कुण्डलिया - ईसरदास
बणी ठणी - नागरीदास
राम रासौ - महेश दधिवाडिया
पाबु प्रकाश - आसिया मोडजी
गजरूपक - केशवदास गाडन
राजरूपक वीरभाण
- रचयिता- वीरभाण रत्नू
- इसमे जोधपुर शासक अभय सिंह एवं गुजरात के बुलंद खाँ के मध्य युद्ध का वर्णन है।
साहित्य क्षेत्र मे कार्यरत संस्थान
राजस्थान साहित्य अकादमी - उदयपुर
- स्थापना - 1958, उदयपुर
- इस संस्थान द्वारा साहित्य क्षेत्र में मीरा पुरस्कार दिया जाता है।
- मधुमति नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन इसी के द्वारा किया जाता है।
रूपायन संस्थान - बोरूंदा (जोधपुर)
- स्थापना- 1960
राजस्थान ज्ञानपीठ अकादमी- बीकानेर
राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी- जयपुर
- स्थापना - 1969
जयपुराजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
- स्थापना - 1983
- जागती जोग नामक राजस्थानी पत्रिका का संपादन इसी के द्वारा किया जाता है।
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